चंडीगढ़: आम आदमी पार्टी(आप) पंजाब के सीनियर व विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने कांग्रेसी मंत्रियों और विधायकों को चुनौती दी है कि यदि उन में पंजाब के प्रति थोड़ा बहुत विवेक है तो वह या तो शासक और प्रशासनिक तौर पर बुरी तरह से निकम्मे हो चुके कैप्टन अमरिन्दर सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी से एक तरफ कर दें या फिर खुद ऐसी कागजी वजीरियों, विधायकियों को ठोकर मारकर पंजाब के साथ खड़े होने की हिम्मत दिखाएं। पार्टी हैडक्वाटर से जारी बयान के द्वारा हरपाल सिंह चीमा ने बीते शनिवार को एक अहम बैठक के दौरान पंजाब के मंत्रियों और समूह आधिकारियों के दरमियान हुए घमासान पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है।
विपक्ष के नेता ने कहा कि एक बार फिर जनतक हुआ है कि पंजाब में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। कथित सरकार ‘फार्म हाऊस’ में बैठकर ‘बाबूशाही कैबिनेट’ के द्वारा शाही अंदाज में चलाई जा रही है और चुने हुए जनप्रतिनिधि बुरी तरह बेबस जता रहे हैं। ऐसे बेलगाम व्यवस्था में पंजाब की ओर बर्बादी रोकने के लिए यदि कांग्रेसी मंत्री या विधायक निर्णायक आवाज बुलंद करने की बजाए अपनी कुर्सियों को ही चिपके रहेंगे तो लोगों की कचहरी में ऐसे खुदगरज नेताओं से पाई-पाई का हिसाब लिया जाएगा।
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हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि कठिन और चुनौती भरे समय में जनहित सरकार चलाना कैप्टन अमरिन्दर सिंह के बस की बात नहीं रही, उम्र और शाही आदतों ने मुख्यमंत्री को नाकाबिल बना दिया है। बाबूओं और जी-हजूरों की भ्रष्ट और माफिया प्रवृत्ति वाली कैप्टन की ‘किचन कैबिनेट’ अब न केवल पंजाब और पंजाबियों बल्कि खुद कैप्टन पर भी भारी पड़ चुकी है। संशोधन की हुई नई शराब नीति इस की ताजा मिसाल है, लॉकडाउन के मौजूदा हलात में पंजाब का शराब माफिया नई ऊंचाइयों को छू रहा है। यही वजह है कि पंजाब में हर साल शराब की खप्त बढ़ रही है, परंतु सरकारी खजाने को आमदनी कम हो रही है।
हरपाल सिंह चीमा ने पंजाब के मंत्रियों को मुखातिब होते कहा कि अफसरशाही से गर्मा-गर्मी होने के बाद जो मंत्री अफसरशाही पर पंजाब को लूटने के बेबाक आरोप लगा रहे हैं, वह यह भी बताएं कि पंजाब और पंजाबियों को लूटने वाले चोरों का ‘अलीबाबा’ कौन है, क्योंकि राजनैतिक सरंक्षण के बिना कोई भी ऐसी हिमाकत नहीं कर सकता।
हरपाल सिंह चीमा ने कैबिनेट मंत्री मनप्रीत सिंह बादल, सुखजिन्दर सिंह रंधावा और चरनजीत सिंह चन्नी को कहा कि वह तमाशबीनों के तौर पर सिर्फ वॉकआऊट या बयानबाजी करके ही अपनी पंजाब और पंजाबियों के प्रति जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकते। जनतक तौर पर अब पत्ते खुल चुके हैं, इस लिए या तो वह पंजाब के साथ खड़े हो कर पंजाबियों के हित बचाने के लिए आगे आएं या फिर ‘चोरों’ के साथ मिल कर ‘अलीबाबा’ की कुर्सी बचाए रखें।
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चीमा ने मंत्री भारत भूषण आशु और मुख्य मंत्री के सलाहकार(कैबिनेट रुतबा) अमरिन्दर सिंह राजा वडि़ंग को तंज कसा कि सरकार की लोक विरोधी और गलत नीतियों के विरुद्ध यदि उनकी आदरणीय धर्म-पत्नियां बोल सकतीं हैं तो वह क्यों नहीं बोल सकते। चीमा ने वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल को घेरते कहा कि 2017 में कांग्रेस सरकार की पहली कैबिनेट बैठक के दौरान जब तत्कालीन मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी पंजाब के चुनाव मैनीफैस्टो के मुताबिक पंजाब में सरकारी शराब निगम गठित करने का प्रस्ताव लाए थे, तो उनके मूंहों पर ताले क्यों लग गए थे? चीमा मुताबिक यदि उस समय वित्त मंत्री और बाकी मंत्रियों ने शराब निगम के हक में स्टैंड लिया होता तो शराब नीति के बारे में इन मंत्रीयों को अफसरों के हाथों बेइज़्जत हो कर बैठक से वॉकआऊट करने की नौबत न आती।