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कुछ चुनिंदा दुकानदारों को फायदा पहुँचाने की नीयत से नई एक्साइज पॉलिसी में दुकानों के खुलने से ठीक 2 दिन पहले एलजी ने पॉलिसी में किए फेरबदल

Updated on Saturday, August 06, 2022 16:10 PM IST
कुछ चुनिंदा दुकानदारों को फायदा पहुँचाने की नीयत से नई एक्साइज पॉलिसी में दुकानों के खुलने से ठीक 2 दिन पहले एलजी ने पॉलिसी में किए फेरबदल
  • एलजी साहब ने क्यों और किसके दबाव में आकर, कैबिनेट व स्वयं के द्वारा मंजूर की गई नीति को दुकानों के खुलने से ठीक 48 घंटे बदला, चुनिंदा लाइसेंस धारकों को फायदा पहुंचाने की नीयत से उपराज्यपाल के इस निर्णय की हो सीबीआई जांच, एलजी द्वारा समय लेकर एक्साइज पॉलिसी को ध्यान से पढ़ा गया उसमें बदलाव करने के लिए दिए गए सुझाव उसके बावजूद ऐसी क्या मज़बूरी रही जो पॉलिसी को अंतिम समय में बदला गया- उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया
  • पुरानी एक्साइज नीति के दौरान सभी उपराज्यपालों द्वारा हमेशा अनऑथराइज्ड एरिया में दुकाने खोलने की दी गई मंजूरी, नई पॉलिसी में भी एलजी ने इसे मंजूर किया, फिर क्यों दुकानें खुलने से ठीक दो दिन पहले इसमें किए गए फेरबदल, डीडीए-एमसीडी से मंजूरी लेने के रखी शर्त- उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया
  • सरकार और एलजी द्वारा पहले से मंजूर की गई पॉलिसी में अंतिम समय में नई शर्त जोड़ने के पीछे क्या रही वजह,इससे सरकार को हजारों करोड़ों का हुआ नुकसान, क्या है इसके पीछे का कारण इसकी जांच होना जरूरी- उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया

    नई दिल्ली. आप  की क्रांति 

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को प्रेस-कांफ्रेंस के माध्यम से एक बड़ा खुलासा किया| जहाँ उपमुख्यमंत्री ने बताया कि किस तरह से कुछ चुनिंदा दुकानदारों को फायदा पहुँचाने की नीयत से एक्साइज पॉलिसी 2021-22 में शराब की दुकानों के खुलने से ठीक 2 दिन पहले एलजी ने अपना निर्णय बदला, जिससे सरकार को हजारों करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ वहीँ कुछ दुकानदारों को हजारों करोड़ों का फायदा हुआ| श्री सिसोदिया ने कहा कि मई 2021 में जब सरकार ने एलजी ऑफिस में पॉलिसी को मंजूरी के लिए भेजा गया तो एलजी साहब ने इसे ध्यान से पढ़कर इसमें कई बड़े बदलाव करवाए थे| उस समय उनका स्टैंड अनऑथराइज्ड एरिया में दुकानें खोले जाने के पक्ष में था और उन्होंने उसे बाकायदा मंजूरी भी दी| लेकिन वो पॉलिसी जिसे कैबिनेट ने व स्वयं एलजी साहब ने मंजूरी दी थी, उसे किसके दबाव में आकर दुकानों के खुलने से ठीक 2 दिन पहले बदला गया और क्यों कुछ दुकानदारों को फायदा पहुँचाने के लिए एलजी द्वारा अपने स्तर पर ही यह निर्णय लिया| उपमुख्यमंत्री ने इस मसले का पूरा ब्यौरा सीबीआई को भेजा है और इसकी जाँच की मांग की है| सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में नई एक्साइज पॉलिसी 2021-22, उपराज्यपाल महोदय की मंजूरी के बाद ही लागू की गई थी। उपराज्यपाल कार्यालय ने इस पॉलिसी के एक-एक प्रस्ताव को बहुत ध्यान से पढ़ा था। इसीलिए कैबिनेट द्वारा 15 अप्रैल 2021 को पास किए गए प्रस्ताव को पहले जब उपराज्यपाल महोदय की मंजूरी के लिए भेजा गया तो उन्होंने उसे ध्यान से पढ़ कर उसमें कई बदलाव भी करवाए थे और एलजी की मंजूरी से ही इस पॉलिसी को लागू किया गया| इस नई पॉलिसी के तहत दिल्ली में शराब की दुकानों की कुल संख्या न बढा़ते हुए उन्हें पूरी दिल्ली में समानता के आधार पर वितरित करने का प्रावधान रखा गया था। दिल्ली में पहले 849 दुकानें थी, नई पॉलिसी में भी पूरी दिल्ली में 849 दुकानें होनी थी और ये दुकानें पूरी दिल्ली में बराबर बटनी थी। इसलिए पॉलिसी में ऐसे वार्डस का विवरण देते हुए बहुत स्पष्ट लिखा गया था कि दिल्ली के हर वार्ड में, यहां तक कि जहां पहले एक भी दुकान नहीं थी वहां भी, कम से कम दो दुकानें खोलने का प्रावधान रहेगा। उपराज्यपाल महोदय ने नई पॉलिसी को बहुत ध्यान से पढ़ कर ही इन प्रस्तावों को मंजूरी दी थी। नई पॉलिसी में नॉन-कन्फॉर्मिंग एरियाज में उपराज्यपाल महोदय की मंजूरी लेकर शराब की दुकानें खोलने का प्रावधान रखा गया था। इस प्रावधान को कैबिनेट और खुद उपराज्यपाल महोदय ने मंजूरी दी थी। लेकिन जब कारोबारियों ने लाइसेंस ले लिए और अनऑथराइज्ड एरियाज में उनकी दुकान खोलने के प्रस्ताव उपराज्यपाल महोदय के कार्यालय में पहुंचे तो दुकानें शुरू होने से ठीक दो दिन पहले यानि 15 नवंबर 2021 को उपराज्यपाल कार्यालय ने एक नई शर्त लगा दी। उन्होंने कहा कि अनऑथराइज्ड एरियाज में दुकान खोलने के पहले डीडीए और एमसीडी की मंजूरी लेकर ही दुकानें खोली जाएं| श्री सिसोदिया ने कहा कि उपराज्यपाल महोदय को पता था कि डीडीए व एमसीडी इसकी मंजूरी नहीं दे सकते क्योंकि यह मामला अनाधिकृत क्षेत्र से संबंधित है और यहां दुकानें डीडीए व एमसीडी की मंजूरी से नहीं बल्कि उपराज्यपाल महोदय की मंजूरी से ही खुल सकती हैं। पुरानी एक्साइज पॉलिसी में भी उपराज्यपाल के स्तर पर मंजूरी लेकर ही दुकानें खोली जाती रही थी। उपराज्यपाल कार्यालय ने न तो कभी पुरानी एक्साइज पॉलिसी के तहत अनऑथराइज्ड एरियाज में दुकानें खोलने की मंजूरी देते वक्त इस तरह की कोई शर्त लगाई थी और न ही नई एक्साइज पॉलिसी को पास करते वक्त इस तरह की कोई शर्त लगाई थी, जिसके प्रावधानों में साफ-साफ लिखा हुआ था कि अनऑथराइज्ड एरियाज में उनकी मंजूरी लेकर दुकानें खोली जाएंगी। उन्होंने आगे कहा कि नई एक्साइज पॉलिसी में सरकार को हुए हजारों करोड़ के नुकसान की असली जड़ उपराज्यपाल कार्यालय का नई एक्साइज पॉलिसी लागू होने के 48 घंटे पहले बदला गया यह निर्णय है। जो शर्त न तो नई पॉलिसी को मंजूरी देते वक्त लगाईं गई और न ही पुरानी पॉलिसी में भी कभी अनऑथराइज्ड एरियाज में दुकानें खोलने की मंजूरी देते वक्त लगाई गई, वह अचानक दुकानें खोले जाने से ठीक दो दिन पहले लगा दी गई। आखिर अपने ही निर्णय से अचानक पलटने के पीछे उपराज्यपाल कार्यालय का मकसद क्या था? वह भी एक ऐसी शर्त लगा कर, जिसका जिक्र ना तो एक्साइज डिपार्टमेंट द्वारा तैयार पॉलिसी में था, न ही कैबिनेट द्वारा पारित पॉलिसी में था, न ही उपराज्यपाल महोदय ने पॉलिसी को मंजूरी देते वक्त इस तरह की कोई शर्त पॉलिसी में जुड़वाई, ना ही इसके पहले, पुरानी पॉलिसी के दौरान, उपराज्यपाल महोदय ने अनऑथराइज्ड एरियाज में दुकानें खोलने की मंजूरी देते वक्त डीडीए और एमसीडी की मंजूरी लेने की शर्त लगाई। इतना ही नहीं जब एक्साइज डिपार्टमेंट द्वारा यह आकलन उपराज्यपाल कार्यालय के समक्ष रखा गया कि अनऑथराइज्ड एरियाज में, पॉलिसी में मंजूरी होने के बावजूद, दुकानें नहीं खोलने देने से सरकार को हजारों करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष नुकसान वर्तमान वित्त वर्ष में हो रहा है, तो भी उपराज्यपाल कार्यालय ने दुकानें खोलने की सहमति नहीं दी बल्कि डीडीए के वाइस चेयरमैन की अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी जिसका कोई नतीजा नहीं निकला। उपराज्यपाल कार्यालय की इस शर्त की वजह से लाइसेंस धारक कोर्ट में गए और वहां से ये फैसला अपने पक्ष में लेकर आए कि जितनी दुकानें नहीं खोली गई उतनी लाइसेंस फीस नहीं ली जाएगी। इससे सरकार के राजस्व को भारी नुकसान हुआ। अगर उपराज्यपाल महोदय के कार्यालय ने आखिरी वक्त पर अपना निर्णय ना बदला होता और नई एक्साइज पॉलिसी में मंजूर किए गए प्रावधानों के अनुसार दुकान खोलने की अनुमति दे दी होती तो सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान नहीं होता। अपने ही द्वारा पहले मंजूर की गई पॉलिसी में इस तरह की नई शर्त जोड़ना, जिसकी वजह से दुकानें खुल ही नहीं पाई और सरकार को लगातार नुकसान होता रहा, इसके पीछे का कारण क्या है, इसकी जांच होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि, ऐसा लगता है कि उपराज्यपाल महोदय से मंजूर पॉलिसी के उलट जाते हुए, दुकानें खोले जाने के ठीक दो दिन पहले, यह शर्त लगाई ही इसलिए गई थी कि कुछ खास लाइसेंस धारकों को फायदा पहुंचाया जा सके। इस तरह उपराज्यपाल महोदय के इस निर्णय से सरकार को सालाना हजारों करोड़ रुपए का घाटा हुआ और जिन लोगों की दुकानें ऑथराइज्ड एरिया में थी उन्हें हजारों करोड़ रुपए का अनुचित लाभ पहुंचाया गया। सिसोदिया ने कहा कि उपराज्यपाल महोदय ने अपना निर्णय 48 घंटे पहले क्यों बदला, इससे किन दुकानदारों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ, उपराज्यपाल महोदय ने यह निर्णय खुद लिया या किसी के दबाव में लिया, उन दुकान वालों ने इसके बदले किसे कितना फायदा पहुंचाया, इन सब प्रश्नों की जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को इतने बड़े पैमाने पर हुए राजस्व के नुकसान और कुछ चुनिंदा लाइसेंस धारकों को फायदा पहुंचाने की नीयत से उपराज्यपाल महोदय के इस निर्णय की बहुत गंभीरता से जांच होनी चाहिए। इस बाबत उन्होंने इस मामले को सीबीआई जांच के लिए भेज दिया है|

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