चंडीगढ़: आम आदमी पार्टी पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद भगवंत मान ने कहा कि किसान किसी के हाथों गुमराह नहीं हो रहे बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद गुमराह हो गए हैं व अम्बानी-अडानी जैसे कॉर्पोरेट घरानों के लिए अन्नदाताओं को बली दे रहे हैं। जिस कारण अपना अस्तित्व बचाने के लिए पंजाब समेत देश का अन्नदाता अपने घरों-खेतों से सैंकड़ों मील दूर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सरहदी सडक़ों पर बैठने के लिए मजबूर हैं।
पार्टी हेडक्वार्टर से जारी बयान के द्वारा भगवंत मान ने कहा कि सत्ता के नशे में नरेंद्र मोदी इस कदर अंधे हो चुके हैं कि माननीय प्रधान मंत्री जी को कॉर्पोरेट घरानों के बिना देश के किसान, मजदूर, व्यापारी, कारोबारी समेत आम आदमी दिखाई ही नहीं देता। उन्होंने कहा कि मोदी की ओर से जो नए कृषि कानूनों के लिए क्रांतिकारी-क्रांतिकारी का पाठ किया जा रहा है, यदि सच में किसान समर्थकी होते तो कोई किसान तो इसके समर्थन में आता। उन्होंने कहा कि आर. एस. एस. से संबंधित भारतीय किसान संघ की ओर से भी कृषि कानूनों का विरोध किया जा रहा है और किसानी आंदोलन की हिमायत किए जाने से मोदी सरकार को सबक सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि के बारे में जिन कानूनों को प्रधान मंत्री मोदी ऐतिहासिक करार दे रहे हैं, वास्तव में यह काले कानून ऐतिहासिक गलती सिद्ध होंगे। इस लिए किसानों की मांगें मानते हुए यह काले कानून तुरंत रद्द किये जाए।
भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार किसान आंदोलन से बुरी तरह बौखलाहट में आ गई है और किसानों की बात सुनने की बजाए बदले की भावना से भरे फैसले ले रही है। चलते सीजन के दौरान नरमे की एम.एस.पी में ‘क्वालिटी कट’ के नाम पर की कटौती और पराली की समस्या का स्थाई वा सार्थक हल निकालने की बजाए भारी भरकम जुर्माने और 5 साल की सजा के बारे में जारी किया अध्यादेश इसकी प्रत्यक्ष मिसालें हैं।
‘आप’ सांसद मान ने प्रधानमंत्री मोदी पर बदले की भावना से काम करने के लगाए आरोप, कहा- कॉर्पोरेट घरानों के लिए पकड़ी जि़द्द छोड़ किसान विरोधी कानून वापिस ले केंद्र सरकार
मान ने कहा कि एक तरफ पंजाब समेत पूरे देश का किसान कृषि संबंधी काले कानून वापस लेने और फसलों की एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ रहा है। दूसरी ओर केंद्र सरकार ने किसानों से बदला लेते हुए कपास की एमएसपी में कटौती कर दी है, जबकि मालवा की मंडियों में सीसीआई की ओर से कपास की खरीद से हाथ खींचने के कारण प्राईवेट व्यापारी पहले ही कपास के लिए निर्धारित एमएसपी से प्रति क्विंटल 1000 से 1500 रुपए कम मूल्य पर कपास खरीदा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि देश वासियों को अपने मन की बात सुनाने वाले प्रधानमंत्री मोदी न तो किसानों के मन की बात सुन रहे हैं और न ही यह देख रहे हैं कि पूरे देश में से एक भी किसान जत्थेबंदी केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के पक्ष में क्यूं नहीं हैं? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को यह याद रखना चाहिए कि वह सिर्फ कॉर्पोरेट घरानों के प्रधान मंत्री नहीं, बल्कि एक कृषि प्रधान देश के अन्नदाता समेत सभी नागरिकों के प्रधान मंत्री हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार कॉर्पोरेट घरानों के लिए जिद्द छोड़ कर किसानों की बाजू पकड़े।
मान ने कहा कि प्रधान मंत्री मोदी ‘कॉर्पोरेट का चश्मा’ उतार कर अन्नदाता की हक़ीक़त समझें और बिना देरी कृषि के बारे में तीनों काले कानूनों समेत बिजली संशोधन बिल 2020 और प्रदूषण सम्बन्धित जारी घातक अध्यादेश भी वापस लें।
भगवंत मान ने कहा कि किसानों के शंकाएं बिल्कुल सही हैं, क्योंकि सरकार पंजाब-हरियाणा में काफी समय से स्थापित सफल मंडीकरण नीति को छोड़ कर कृषि क्षेत्र को बड़े व्यापारियों के हाथों में सौंप रही है। स्थापित मंडी व्यवस्था टूटने और एमएसपी पर गारंटी के साथ सरकारी खरीद बंद होने के बाद किसान धनाढ्य व्यापारियों पर निर्भर हो जाएंगे जो यूपी-बिहार के किसानों की तरह पंजाब-हरियाणा के किसानों का भी आर्थिक शोषण करेंगे।